About Shiv Chalisa

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया

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